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सीबैक प्रभाव …

सीबैक प्रभाव – सन् 1826 में सीबैक ने यह खोज की कि केवल ऊष्मीय साधनों से ही विद्युत धारा उत्पन्न की जा सकती है। जब विभिन्न धातुओं के दो चालकों को जोड़ा जाता है और इनकी एक सन्धि को गर्म किया जाता है तो परिपथ में विद्युत धारा बहने लगती है। इस प्रभाव को सीबैक प्रभाव कहते है। यह विद्युत धारा, ताप विद्युत धारा कहलाती है। इस प्रकार उत्पन्न विद्युत-वाहक-बल को ताप-विद्युत-वाहक-बल कहते हैं। इसका परिमाण कुछ मिली वोल्ट के लगभग बराबर होता है। धातु चालकों के युग्म को ताप युग्म कहते है।