साहित्यिक स्त्रोत

पुस्तकों में वह साहित्य जो हमें अतीत के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देता है, साहित्यिक स्रोत कहलाता है। साहित्यिक स्रोत के अंतर्गत साहित्यिक ग्रंथों से प्राप्त ऐतिहासिक तथ्यों की समीक्षा की जाती है। वेद, उपनिषद, स्मृतियाँ या धर्मशास्त्र, रामायण, महाभारत और संगम साहित्य प्रारंभिक भारत की राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और धार्मिक स्थितियों पर प्रकाश डालते हैं। ब्राह्मण और बौद्ध-जैन ग्रंथों से स्पष्ट है कि प्राचीन भारतीयों में ऐतिहासिक बुद्धि पर्याप्त मात्रा में विद्यमान थी। कल्हण ने राजतरंगिणी में लिखा है कि योग्य और सराहनीय इतिहासकार वही है जिसका अतीतकालीन घटनाओं का वर्णन न्यायाधीश के समान आवेश, पूर्वाग्रह व पक्षपात से मुक्त है। चीनी यात्री ह्वेनसांग ने भी लिखा है कि भारत के प्रत्येक प्रदेश में राजकीय अधिकारी प्रमुख घटनाओं को लिखते थे। भारत के प्राचीन साहित्यिक ग्रंथों से प्राचीन भारतीय इतिहास के बारे में पर्याप्त ज्ञान होता है।