भारत में सामाजिक धार्मिक सुधार आंदोलन वे आंदोलन हैं जो पुनर्जागरण के दौरान तथा बाद में भारत के किसी भाग में या पूरे देश में सामाजिक या धार्मिक सुधार के लिए चलाए गए। इनमें ब्रह्म समाज, आर्य समाज, प्रार्थना समाज, सत्य-शोधक समाज, एझाबा आंदोलन, दलित आंदोलन आदि प्रमुख हैं।
19वीं सदी में जबर्दस्त बौद्धिक व सांस्कृतिक उथल पुथल भारत की एक विशेषता थी। इस काल में हुए धार्मिक और सामाजिक सुधार आन्दोलन का भारत के इतिहास में विशेष स्थान है, इसके बहुमुखी स्वरुप एवं व्यापकता की दृष्टि से इसे एक महत्वपूर्ण घटना माना जा सकता है। इस आंदोलन ने देश के जनजीवन को झकझोर दिया इसने जहां एक ओर धार्मिक एवं सामाजिक सुधारों का आह्वान किया वहीं दूसरी ओर इसने भारत के अतीत को उजागर कर भारतवासियों के मन में आत्मसम्मान एवं आत्मगौरव की भावना जगाने की कोशिश की।