Notes

दोलनी गति में साम्यावस्था से विस्थापन, कोणों की ज्याएँ तथा कोज्याएँ से युक्त व्यंजकों द्वारा निरूपित किया जा सकता है …

दोलनी गति में साम्यावस्था से विस्थापन, कोणों की ज्याएँ तथा कोज्याएँ से युक्त व्यंजकों द्वारा निरूपित किया जा सकता है। गणित में ऐसे व्यंजक आर्वती फलन या संनादी फलन कहलाते है। अतः इस प्रकार की गति करता हुआ कण संनादी दोलित्र कहलाता है तथा इसकी इर्द-गिर्द की गति संनादी गति या संनादी दोलन कहलाती है।