Notes

द्विबीजपत्री भ्रूण का विकास …

द्विबीजपत्री भ्रूण का विकास –
(1) युग्मनज (zygote) आकार में बढ़कर अपने चारों ओर सैल्यूलोस की भित्ति बना लेता है। द्विबीजपत्री भ्रूण अनुप्रस्थ विभाजन के द्वारा बीजाण्डद्वार की ओर आधार कोशिका (basal cell) तथा निभाग (chalaza) की ओर अन्तस्थ कोशिका (terminal cell) की बनावट पूर्ण करता है।
(2) अधराधर काशिकाओं से मूलांकुर (radicle) व अधोबीजपत्र तथा अध्याधर कोशिकाओं से प्रांकुर व बीज पत्र बनते हैं।
(3) भ्रूण वृद्धि करके ह्रदय के आकार का हो जाता है। द्विबीजपत्री भ्रूण में बीजपत्र वृद्धि कर मुड़ जाते हैं। इस प्रकार परिपक्व द्विबीजपत्री भ्रूण में दो बीजपत्र होते हैं, द्विबीजपत्री भ्रूण एक अक्ष से जुड़े होते हैं। प्रांकुर अक्ष का एक भाग है, जो बीजपत्रों के बीच होता है, और प्रांकुर अक्ष का दुसरा भाग मूलांकुर कहलाता है।