Table

प्रमुख अंतः स्रावी ग्रंथियाँ एवं उनके कार्य

ग्रन्थि का नाम हार्मोन्स का नाम कार्य
पिट्यूटरी ग्लैंड या पीयूष ग्रंथि सोमैटोट्रॉपिक हार्मोन (STH) कोशिकाओं की वृद्धि का नियंत्रण करता है।
थाइरोट्रॉपिक हार्मोन (TSH) थाइराइड ग्रंथि के स्राव का नियंत्रण करता है।
एडिनोकार्टिको ट्रॉपिक हार्मोन (ACTH) एड्रीनल ग्रंथि के प्रान्तस्थ भाग के स्राव का नियंत्रण करता है।
फॉलिकल उत्तेजक हार्मोन (FSH) नर के वृषण में शुक्राणु-जनन एवं मादा के अंडाशय में फॉलिकल की वृद्धि का नियंत्रण करता है।
ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन (LTH) कॉर्पस ल्यूटियम का निर्माण, वृषण से एस्ट्रोजेन एवं अंडाशय में प्रोजेस्टरॉन के स्राव हेतु अन्तराल कोशिकाओं का उद्दीपन।
एण्डीड्यूरेटिक हार्मोन (ADH) शरीर में जल संतुलन अर्थात् वृक्क द्वारा मूत्र की मात्रा को नियंत्रण करता है।
थायरॉयड ग्रंथि थाइरॉक्सिन हार्मोन वृद्धि तथा उपापचय की गति को नियंत्रित करता है।
पैराथायरॉयड ग्रंथि पैराथायरॉयड हार्मोन रक्त में कैल्शियम की कमी होने से यह स्रावित होता है। यह शरीर में कैल्शियम फॉस्फोरस की आपूर्ति की नियंत्रित करता है।
कैल्शिटोनिन हार्मोन रक्त में कैल्शियम अधिक होने से यह मुक्त होता है। यह शरीर में कैल्शियम तथा फॉस्फोरस की आपूर्ति को नियंत्रित करता है।
एड्रीनल ग्रंथि ग्लूकोर्टिक्वायड हार्मोन कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन एवं वसा उपापचय का नियंत्रण करता है।
  • कॉर्टेक्स ग्रंथि
मिनरलोकोर्टिक्वायड्स हार्मोन वृक्क नलिकाओं द्वारा लवण का पुनः अवशोषण एवं शरीर में जल संतुलन करता है।
लिंग हार्मोन पेशियों, हड्डियों, बाह्मलैंगिक अंग एवं यौन आचरण का नियंत्रण करता है।
  • मेडुला ग्रंथि
एपीनेफ्रीन हार्मोन रक्तचाप को नियंत्रित करता है।
नोरएपीनेफ्रीन हार्मोन रक्तचाप को नियंत्रित करता है।
अग्न्याशय की लैंगरहेंस की द्विपिका ग्रंथि इन्सुलिन हार्मोन रक्त में शर्करा की मात्रा को नियंत्रित करता है।
ग्लूकागॉन हार्मोन रक्त में शर्करा की मात्रा को नियंत्रित करता है।
अण्डाशय ग्रंथि एस्ट्रोजेन हार्मोन मादा अंग में परिवर्द्धन को नियंत्रित करता है।
प्रोजेस्टेरॉन हार्मोन स्तन वृद्धि, गर्भाशय एवं प्रसव में होनेवाले परिवर्तनों को नियंत्रित करता है।
रिलैक्सिन हार्मोन प्रसव के समय होने वाले परिवर्तनों को नियंत्रित करता है।
वृषण ग्रंथि टेस्टेस्टोरीन हार्मोन नर अंग में परिवर्द्धन एवं यौन आचरण को नियंत्रित करता है।