दक्षिण भारत के राजवंश

दक्षिण भारत का इतिहास 4000 वर्षों से भी अधिक पुराना है, जिसके दौरान इस क्षेत्र ने कई राजवंशों और साम्राज्यों का का उदय और पतन देखा। दक्षिण भारत का प्राचीन इतिहास संगम युग के नाम से जाना जाता है, जो छठी शताब्दी ईसा पूर्व से तीसरी शताब्दी ईसवी तक फैला था। दक्षिण भारत के प्राचीन अतीत में बहुत कम शिलालेख और अभिलेख हैं।
दक्षिण भारत का इतिहास समृद्ध और विविधतापूर्ण है, जो कई राजवंशों के शासन की विशेषता है जिन्होंने क्षेत्र की संस्कृति, समाज और राजनीतिक परिदृश्य पर एक अमिट छाप छोड़ी है। प्राचीन काल से लेकर आज तक दक्षिण भारत कई शक्तिशाली राजवंशों का घर रहा है जिन्होंने इसके इतिहास और पहचान को आकार दिया है।
दक्षिणी भारत के ज्ञात इतिहास की अवधि लौह युग (लगभग 1200 ईसा पूर्व से 200 ईसा पूर्व), संगम काल (लगभग 600 ईसा पूर्व से 300 ईसा पूर्व) और मध्यकालीन दक्षिणी भारत से 15वीं शताब्दी ईसवी तक शुरु होती है। दक्षिण भारत में स्थापित प्रमुख राजवंशों में चेर, चोल, पाण्डय, पल्लव, सातवाहन, चालुक्य, होयसल, राष्ट्रकूट और विजयनगर शामिल हैं।
इस्लामी हस्तक्षेप के जवाब में विजयनगर साम्राज्य का उदय हुआ और इसने दक्षिणी भारत के अधिकांश हिस्से को अपने दायरे में ले लिया। इसने दक्कन सल्तनत और दक्षिण में मुगल विस्तार के खिलाफ एक सुरक्षा कवच के रुप में काम किया।