मगध राज्य का उदय

मगध प्राचीन भारत के 16 महाजनपदों में से एक था। इतिहासकारों के अनुसार मगध साम्राज्य (Magadh Samrajya) ने भारत में 684 ईसा पूर्व – 320 ईसा पूर्व तक शासन किया था। वहीं मगध साम्राज्य पर तीन राजवंशों ने 544 ईसा पूर्व से 322 ईसा पूर्व तक शासन किया था। इनमें पहला हर्यक राजवंश (Haryanka dynasty), दूसरा शिशुनाग राजवंश (Shishunaga dynasty) और तीसरा नंद वंश (Nanda dynasty) था। मगध साम्राज्य का उल्लेख भारत के कई प्राचीन ग्रंथों और लोक कथाओं में मिलता है।
मगध राज्य अपने गौरवशाली इतिहास, वीर योद्धओं और विशाल साम्राज्य के लिए जाना जाता था। प्राचीन भारत के इतिहास में कई छोटे-बड़े राज्यों की सत्ता थी लेकिन मगध साम्राज्य का अपना एक विशेष स्थान रहा था। प्राचीन भारत में 16 महाजनपद थे, इन महाजनपदों में 4 महाजनपद बुद्ध के समय एवं परिवर्ती काल में उत्तरी भारत के सबसे शक्तिशाली महाजनपद थे। इनमें कोशल जनपद, वत्स जनपद, अवंती जनपद और मगध जनपद भी शामिल थे। मगध जनपद इन चारों जनपदों में भी सबसे अधिक शक्तिशाली माना जाता था। इसके अलावा मगध साम्राज्य ने अपने विशाल और प्राचीन स्तंभों, शेर सिंहासन, स्तूपों की रेलिंग और अन्य विशाल मूर्तियों के साथ्‍ज्ञ दुनिया का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया था।
छठी शताब्दी ईसा पूर्व के दौरान भारत में सबसे बड़े साम्राज्य, मगध साम्राज्य का उदय हुआ और इसका श्रेय कई महत्वकांक्षी शासक जैसे बिंबिसार, अजातशत्रु और महापद्मनंद को दिया जाता है। इन शासकों ने साम्राज्य का विस्तार करने और इसे मजबूत बनाने के लिये सभी उचित साधनों का इस्तेमाल किया। इसके अलावा मगध की भौगोलिक व राजनीतिक स्थिति के कारण भी प्रतिष्ठा बढ़ी थी।