प्रागैतिहासिक भारत

  • प्रागैतिहासिक काल – वह काल जिसके लिए कोई लिखित सामग्री उपलब्ध नहीं है और जिसमें मानव का जीवन अपेक्षाकृत पूर्णतया सभ्य नहीं था, ‘प्रागैतिहासिक काल’ कहलाता है।
    इस काल का इतिहास पुरातात्विक साधनों से ज्ञात होता है।
    इस काल को तीन भागों में विभाजित किया गया है-
    1. पुरा पाषाण काल (अज्ञात काल से 8000 ई. पू.)
    2. मध्य पाषाण काल (8000 ई. पू. से 4000 ई. पू.)
    3. नव पाषाण काल (4000 ई. पू. से 2500 ई. पू.)
  • आद्य इतिहास – इतिहास का ऐसा काल जिसके लेखन कला के प्रमाण तो हैं, लेकिन या तो वे अपुष्ट हैं या फिर उनकी गूढ़ लिपि को समझना कठिन है, ऐसे काल को ‘आद्य इतिहास’ कहते हैं।
    इस काल के इतिहास लेखन के लिए साहित्यिक एवं पुरातात्विक साधनों का प्रयोग किया जाता है।
    इस काल के अंतरृगत 2500 ई. पू. से 600 ई. पू. के मध्य का काल आता है।
  • ऐतिहासिक काल – जिस काल के लिए लिखित सामग्री उपलब्ध है और जिसमें मानव सभ्य बन चुका था, उस काल के अंतर्गत 600 ई. पू. के बाद का काल आता है जिसे ‘ऐतिहासिक काल’ कहते हैं।