“वनस्पति-जगत का उभयचर” ब्रायोफाइटा को कहा जाता है।
अण्डयुज (Ovipara) अरस्तु के अनुसार इनैइमा का एक उपसमुह है जिनमें उन कशेरूकी प्राणियों को रखा गया है जो जीवित बच्चों को जन्म देने के बजाय अण्डे देते है।
उभयचर के अण्डे कैसे होते है?
उभयचर के अण्डे मध्यपीतकी एवं गोलार्धपीतकी होते है।
उभयचरों का युग कार्बोनिफेरस कल्प को कहा जाता है।
उभयचरों का हृदय कितने कोष्ठीय होता है?
उभयचरों का हृदय तीन कोष्ठीय होता है।
एम्फीबिया वर्ग (Amphibia) के सभी प्राणी उभयचर होते हैं।
कार्बोनिफेरस कल्प को उभयचरों के युग के रूप में जाना जाता है।
किस वर्ग के सभी प्राणी उभयचर होते हैं?
गोलार्धपीतकी अण्डे पक्षी, उभयचर एवं सरीसृप आदि में पाये जाते है।
टीलोलेसिथल अण्डे पक्षी, उभयचर एवं सरीसृप आदि में पाये जाते है।
टेट्रापोडा को चार वर्गों में वर्गीकृत किया गया है।
मध्यपीतकी अण्डे पेट्रोमाइजोन एवं उभयचर में पाये जाते है।
मीसोलेसिथल अण्डे पेट्रोमाइजोन एवं उभयचर में पाये जाते है।