एकनाथ के अनुसार धार्मिक जीवन के लिये किसी मठ या संसार से पलायन की कोई आवश्यकता नही है।
ज्ञानेश्वरी गीता का पहला विश्वस्त संस्करण एकनाथ ने प्रकाशित किया था।