गोलार्धपीतकी अण्डे पक्षी, उभयचर एवं सरीसृप आदि में पाये जाते है।
गोलार्धपीतकी को टीलोलेसिथल भी कहा जाता है एवं यह अण्डों में होने वाली ऐसी अभिक्रिया है जिसमें पीतक या जर्दी गोलार्ध की ओर अधिक मात्रा में उपस्थित होते है।
गोलार्धपीतकी क्या है?
टीलोलेसिथल में पीतक या जर्दी गोलार्ध की ओर अधिक मात्रा में उपस्थित होते है एवं इसे गोलार्धपीतकी भी कहा जाता है।
पक्षी के अण्डे अतिपीतकी एवं गोलार्धपीतकी होते है।
पीतक की स्थिति के आधार पर अण्डे तीन प्रकार के होते है।
पीतक की स्थिती के आधार पर अण्डे तीन प्रकार के होते है।
सरीसृप के अण्डे अतिपीतकी एवं गोलार्धपीतकी होते है।