अतिसंयुग्मन को σ-संयुग्मन या नो-बॉन्ड रेजोनेंस प्रक्रिया भी कहते है। अतिसंयुग्मन प्रक्रिया से जुड़े हुए इलेक्ट्रॉन निरूपण से सिस्टम की स्थिरता बढ़ जाती है। अतिसंयुग्मन प्रक्रिया में C—H बन्ध के इलेक्ट्रॉन अनुनाद में भाग लेते हैं।