एक आयताकार कुण्डली में से i धारा प्रवाहित हो रही है …
एक आयताकार कुण्डली में से i धारा प्रवाहित हो रही है। इस कुण्डली को एक तार के समीप इस प्रकार रखा जाता है कि इसकी एक भुजा तार के समान्तर रहे। यदि तार में से स्थायी धारा i प्रवाहित हो रही है, तब कुण्डली कैसी होगी?
तार की एक लम्बाई L से स्थायी धारा i बह रही है …
तार की एक लम्बाई L से स्थायी धारा i बह रही है। इसे पहले एक वृत्ताकार लूप में मोड़ा जाता है और फिल इसी तार को छोटी त्रिज्या के दो लूप में मोड़ दिया जाता है। इसमें से उतनी ही धारा प्रवाहित करने पर इसके केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र क्या होगा?
स्थायी धारा वाले अधिक सममित रचना के चुम्बकीय क्षेत्र की गणना ऐम्पीयर के नियम द्वारा दर्शाया जाता है।
स्थायी धारा वाले अधिक सममित रचना के चुम्बकीय क्षेत्र की गणना किस नियम द्वारा दर्शाया जाता है?