अश्वमेध

प्रयाग प्रशस्ति लेख के अनुसार समुद्रगुप्त ने अश्वमेध यज्ञ किया और धरणिबन्ध (पृथ्वी को बांधना) अपना लक्ष्य बनाया था।

समुद्रगुप्त द्वारा जारी छः प्रकार की स्वर्ण मुद्रायें गरूड़, व्याध्रहन्ता, धनुर्धर, परशु, अश्वमेध एवं वीणाधारी था।

Subjects

Tags