अवतारवाद का सर्वप्रथम उल्लेख हिन्दू धर्म के पवित्र पुस्तक भगवद्गीता में मिलता है।
अवतारवाद के सिद्धांत को वैष्णव मत के अन्दर लोकप्रिय देवताओं को संयाेजित कर और लोकप्रिय बनाया गया था।
वैष्णव धर्म का प्रधान अंग अवतारवाद था।