कबीर दास जी ने ‘अवतार’ के सिद्धांत को स्वीकार नहीं किया था।
पाशुपत सम्प्रदाय के संस्थापक लकुलीश को शिव अवतार माना जाता था।
पुष्यभूति वंश के शासक हर्षवर्धन को सभी देवताओं का सम्मिलित अवतार हर्षचरित पुस्तक में कहा गया है।