केन्द्रीय सरकार को सार्वजनिक ऋण के संबंध में 1861 के भारत परिषद अधिनियम से प्रान्तीय सरकार से अधिक अधिकार दिए गए थे।
भारत परिषद अधिनियम, 1861 के अन्तर्गत वायसराय की विधानपरिषद में अधिकतम 12 सदस्य नामांकित किए जा सकते थे।
भारत परिषद अधिनियम, 1861 के अन्तर्गत वायसराय की विधानपरिषद में न्यूनतम 6 सदस्यों का प्रावधान किया गया था।
भारत परिषद अधिनियम, 1861 के द्वारा कार्यकारी परिषद के सदस्यों की संख्या 4 से बढ़ाकर 5 कर दी गयी थी।
भारत परिषद अधिनियम, 1861 के द्वारा ही वायसराय को अध्यादेश जारी करने की शक्ति दी गयी थी।
भारत परिषद अधिनियम, 1861 द्वारा भारत में संवैधानिक विकास का सूत्रपात किया गया था।