जैनेत्तर ग्रन्थों के चित्रों की शैली को अपभ्रंश शैली कहा गया है।
जैनेत्तर ग्रन्थों के चित्रों की शैली को राय कृष्णदास ने अपभ्रंश शैली कहा है।
मुगलकालीन युग में प्रकृति चित्र, दरबारियों के चित्र, पुस्तकों के उदाहरण चित्रों का निर्माण हुआ था।