अमृतसागर तथा बुद्धिमित्र जैसे जैन एवं बौद्ध भिक्षुओं को चोल शासकों ने संरक्षण दिया था।
ग्रंथ लिपि का प्रयोग पल्लव एवं चोल शासकों द्वारा किया जाता था।
चोल एवं पाण्ड्यों का रोम से क्या सम्बन्ध था?
चोल एवं पाण्ड्यों का रोम से व्यापारिक सम्बन्ध 22 ईसा पूर्व मे बना था।
चोल एवं पाण्ड्यों का रोम से व्यापारिक सम्बन्ध कब बना था?
चोल एवं पाण्ड्यों का रोम से व्यापारिक सम्बन्ध था।
चोल, चेर, पांड्य तीनों राज्यों का संगम स्थल का क्या नाम था?
चोल, चेर, पांड्य तीनों राज्यों के संगम स्थल का नाम विरुक्काम्पलिया था।
चोलों का सर्वप्रथम वर्णन अशोक के तेरहवें शिलालेख में मिलते है।
तंजौर के प्रसिद्ध शिव अथवा वृहदेश्वर मन्दिर का निर्माण राजराज चोल ने करवाया था।
दक्षिण भारत में शैवधर्म चालुक्य, राष्ट्रकूट, पल्लव एवं चोल शासकों के समय लोकप्रिय था।
पल्लव साम्राज्य को चोल शासकों ने विजित कर अपने राज्य में मिला लिया था।
प्रारम्भिक चोलों की राजधानी तंजौर थी।
बीज चोल बीजावरण का बाहरी आवरण है।
सबसे शक्तिशाली चोल शासक कौन था?