अरबों के उमर खय्याम के पंचांग को ईसाई पंचांग से अधिक शुद्ध कहा गया है।
इरासमस ने अपनी पुस्तक ‘द प्रेज ऑफ फौली’ में पादरियों के अनैतिक जीवन एवं ईसाई धर्म की कुरीतियों पर प्रहार किया है।
इरासमस ने किस पुस्तक में पादरियों के अनैतिक जीवन एवं ईसाई धर्म की कुरीतियों पर प्रहार किया है?
ईसाई धर्म का विकास ‘यहूदी धर्म’ से हुआ था।
ईसाई धर्म का विकास किस धर्म से हुआ है?
ईसाई धर्म का सबसे पवित्र चिन्ह क्रॉस है।
ईसाई धर्म के अधिकांश लोगों का यह विश्वास था कि इस लोक में कष्ट सहने से उन्हें परलोक में लाभ होगा।
ईसाई धर्म के प्रति मुसलमान बाद में असहिष्णु हो गये थे।
ईसाई धर्म के प्रमुख ग्रंथ का क्या नाम है?
ईसाई धर्म के प्रमुख ग्रंथ का नाम बाइबिल है।
ईसाई धर्म के प्रवर्तक ‘ईसा मसीह’ थे।
ईसाई धर्म के प्रवर्तक कौन थे?
ईसाई धर्म के सम्प्रदाय प्रोटेस्टेंट, कैथोलिक, लूथेरियन, ज्विंगली एवं प्रेसबिटेरियन है।
ईसाई धर्म के संस्थापक ईसा मसीह थे।
ईसाई धर्म प्रचारक सेंट थॉमस किसके समय में भारत आए थे?
ईसाई धर्म प्रचारक सेंट थॉमस गोडोंफर्निश के समय में भारत आए थे।
ईसाई धर्म में काल्विन ने जिस सम्प्रदाय को चलाया उसे प्रेसबिटेरियन सम्प्रदाय कहा गया था।
ईसाई धर्म में ज्विंगली ने जिस सम्प्रदाय को चलाया उसे क्या कहा गया था?
ईसाई धर्म में ज्विंगली ने जिस सम्प्रदाय को चलाया उसे ज्विंगली सम्प्रदाय कहा गया था।
ईसाई धर्म में लूथर ने जिस सम्प्रदाय को चलाया उसे लूथेरियन कहा गया था।
ईसाई लोगों को अरबों के सहयोग से एक नई सभ्यता को समझने का मौका मिला था।
ईसाई लोगों को किनके सहयोग से एक नई सभ्यता को समझने का मौका मिला था?
ईसाई सम्प्रदाय कैथोलिक तथा प्रोटेस्टेंट सम्प्रदायों में विभाजित हो गया था।
किस मुगल शासक ने आगरा एवं लाहौर में ईसाइयों को गिरजाघर बनाने की अनुमति प्रदान की थी?
धर्मयुद्ध के कारण ईसाइयों का परिचय किस संस्कृति से हुआ था?
धर्मयुद्ध के कारण ईसाइयों का परिचय पूर्व इस्लाम की संस्कृति से हुआ था।
धर्मयुद्ध में ईसाईयों ने किस पवित्र भूमि पर अधिकार कर पाने में असफल हो गया था?
धर्मयुद्ध में ईसाईयों ने पवित्र भूमि येरुशलम पर अधिकार कर पाने में असफल हो गये थे।
भारत में ‘पहले ईसाई धर्म प्रचारक’ सेन्ट थॉमस थे।
भारत में पहला ईसाई धर्म प्रचारक कौन था?
भारत में हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन और पारसी आदि प्रमुख धार्मिक समुदाय हैं।
मुगल शासक अकबर ने आगरा एवं लाहौर में ईसाइयों को गिरजाघर बनाने की अनुमति प्रदान की थी।
मुसलमान पहले ईसाई धर्म के प्रति सहिष्णु की भावना रखते थे।