वेदों को भली-भांति समझने के लिए शिक्षा, ज्योतिष, कल्प, व्याकरण, निरुक्त तथा छंद की रचना हुई थी।
वैदिक यज्ञों के सही समय निर्धारण के लिए ज्योतिष वेदांग की रचना हुई थी।