भारत में न्यूनतम मजदूरी अधिनियम 1948 ई0 को लागू किया गया था।
मुद्रा की क्रय शक्ति को वास्तविक मजदूरी (वेतन) का प्रमुख निर्धारक माना जाता है।
संगम युग में निचले वर्ण के खेत मजदूर को कडैसियर कहते थे।