उत्तर भारतीय मंदिरों की कला शैली नागर कहलाती है।
दक्षिण भारतीय मंदिरों की कला शैली द्रविड़ शैली कहलाती है।
वैदिक काल में पुराणों का पाठ मंदिरों में पुजारी द्वारा होता था।