तमिल साहित्य के पांच महाकाव्य शिलप्पादिकारम्, मणिमेखलै, जीवक चिन्तामणि, वलयपलि (बलयापदि) एवं कुंडलकेशि (कुण्जलकेशि) हैं।
तमिल साहित्य के मणिमेखलै महाकाव्य में कापालिक शैव संन्यासियों की चर्चा है।
तमिल साहित्य के महाकाव्य मणिमेखलै के लेखक का नाम सित्तलै सित्तनार (बौद्ध) था।
मणिमेखलै’ तमिल साहित्य का महाकाव्य है।
संगम युग की सती प्रथा का उल्लेख मणिमेखलै अभिलेख में मिलता है।
संगमयुगीन ललितकला के विकास का मणिमेखलै महाकाव्य में उल्लेख है।