‘अजंता की गुफाओं’ को विश्व धरोहर स्मारक के रुप में मान्यता 1983 ई0 में दी गयी थी।
‘अहमदाबाद का ऐतिहासिक नगर’ को विश्व धरोहर के रुप में मान्यता 2017 ई0 में दी गयी थी।
‘आगरा के किला’ को विश्व धरोहर स्मारक के रुप में मान्यता 1983 ई0 में दी गयी थी।
‘एलीफेंटा की गुफायें’ को विश्व धरोहर स्मारक के रुप में मान्यता 1987 ई0 में दी गयी थी।
‘एलोरा की गुफाओं’ को विश्व धरोहर स्मारक के रुप में मान्यता 1983 ई0 में दी गयी थी।
‘ऐरावतेश्वर मन्दिर’ को विश्व धरोहर स्मारक के रुप में मान्यता 2004 ई0 में दी गयी थी।
‘कंचनजंगा नेशनल पार्क’ को विश्व धरोहर के रुप में मान्यता 2016 ई0 में दी गयी थी।
‘काजीरंगा नेशनल पार्क’ को विश्व धरोहर के रुप में मान्यता 1985 ई0 में दी गयी थी।
‘कालका-शिमला रेलवे (हिमाचल प्रदेश)’ को विश्व धरोहर के रुप में मान्यता 2008 ई0 में दी गयी थी।
‘कुतुबमीनार’ को विश्व धरोहर स्मारक के रुप में मान्यता 1993 ई0 में दी गयी थी।
‘केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान’ को विश्व धरोहर के रुप में मान्यता 1985 ई0 में दी गयी थी।
‘खजुराहो के मन्दिर’ को विश्व धरोहर स्मारक के रुप में मान्यता 1986 ई0 में दी गयी थी।
‘गंगईकोण्डा चोलापुरम का वृहदेश्वर मन्दिर’ को विश्व धरोहर स्मारक के रुप में मान्यता 2004 ई0 में दी गयी थी।
‘गुजरात का प्राचीन सीढ़ीदार कुआँ (बावड़ी)’ को विश्व धरोहर के रुप में मान्यता 2014 ई0 में दी गयी थी।
‘गोवा के गिरजाघर’ को विश्व धरोहर स्मारक के रुप में मान्यता 1986 ई0 में दी गयी थी।
‘ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क’ को विश्व धरोहर के रुप में मान्यता 2014 ई0 में दी गयी थी।
‘चंडीगढ़ का द आर्किटेक्चरल वर्क ऑफ ली कॉरबुसियर’ को विश्व धरोहर के रुप में मान्यता 2016 ई0 में दी गयी थी।
‘चंपानेर-पावागढ़ आर्कियोलाजी पार्क’ को विश्व धरोहर के रुप में मान्यता 2004 ई0 में दी गयी थी।
‘छत्रपति शिवाजी टर्मिनस’ को विश्व धरोहर के रुप में मान्यता 2004 ई0 में दी गयी थी।
‘जन्तर मन्तर (जयपुर)’ को विश्व धरोहर के रुप में मान्यता 2010 ई0 में दी गयी थी।
‘जयपुर शहर का किला’ को विश्व धरोहर के रुप में मान्यता 2019 ई0 में दी गयी थी।
‘ताजमहल’ को विश्व धरोहर स्मारक के रुप में मान्यता 1983 ई0 में दी गयी थी।
‘थंजावुर का बृहदेश्वर मन्दिर’ को विश्व धरोहर स्मारक के रुप में मान्यता 1987 ई0 में दी गयी थी।
‘दार्जीलिंग हिमालयन रेलवे’ को विश्व धरोहर के रुप में मान्यता 1999 ई0 में दी गयी थी।
‘नंदादेवी राष्ट्रीय उद्यान’ को विश्व धरोहर के रुप में मान्यता 1988 ई0 में दी गयी थी।
‘पट्टडकल के मन्दिर’ को विश्व धरोहर स्मारक के रुप में मान्यता 1987 ई0 में दी गयी थी।
‘पश्चिमी घाट (पश्चिम एवं दक्षिण भारत)’ को विश्व धरोहर के रुप में मान्यता 2012 ई0 में दी गयी थी।
‘फतेहपुर सीकरी’ को विश्व धरोहर स्मारक के रुप में मान्यता 1986 ई0 में दी गयी थी।
‘फूलों की घाटी (उत्तराखंड)’ को विश्व धरोहर के रुप में मान्यता 2005 ई0 में दी गयी थी।
‘बिहार के नालंदा’ को विश्व धरोहर के रुप में मान्यता 2016 ई0 में दी गयी थी।
‘भीमबेटका की गुफायें’ को विश्व धरोहर स्मारक के रुप में मान्यता 2003 ई0 में दी गयी थी।
‘महाबलिपुरम मन्दिर’ को विश्व धरोहर स्मारक के रुप में मान्यता 1985 ई0 में दी गयी थी।
‘महाबोधि मन्दिर (बोधगया)’ को विश्व धरोहर स्मारक के रुप में मान्यता 2002 ई0 में दी गयी थी।
‘मानस वाइल्डलाइफ सेंचुरी’ को विश्व धरोहर के रुप में मान्यता 1985 ई0 में दी गयी थी।
‘मुम्बई का द विकटोरियन तथा आर्ट डेको इन्सेम्बल’ को विश्व धरोहर के रुप में मान्यता 2018 ई0 में दी गयी थी।
‘लाल किला’ को विश्व धरोहर के रुप में मान्यता 2007 ई0 में दी गयी थी।
‘सांची स्तूप’ को विश्व धरोहर स्मारक के रुप में मान्यता 1989 ई0 में दी गयी थी।
‘सुंदरवन राष्ट्रीय उद्यान’ को विश्व धरोहर के रुप में मान्यता 1987 ई0 में दी गयी थी।
‘सूर्य मन्दिर कोणार्क’ को विश्व धरोहर स्मारक के रुप में मान्यता 1984 ई0 में दी गयी थी।
‘हम्पी के मन्दिर’ को विश्व धरोहर स्मारक के रुप में मान्यता 1986 ई0 में दी गयी थी।
‘हुमायूँ का मकबरा’ को विश्व धरोहर स्मारक के रुप में मान्यता 1993 ई0 में दी गयी थी।
जैन धर्म में आत्मा की मान्यता है।
जैनधर्म में ईश्वर की मान्यता नहीं है।
भारत में ‘अजंता की गुफाओं’ को विश्व धरोहर स्मारक के रुप में मान्यता कब दी गयी थी?
भारत में ‘अहमदाबाद का ऐतिहासिक नगर’ को विश्व धरोहर के रुप में मान्यता कब दी गयी थी?
भारत में ‘आगरा का किला’ को विश्व धरोहर स्मारक के रुप में मान्यता कब दी गयी थी?
भारत में ‘एलीफेंटा की गुफाओं’ को विश्व धरोहर स्मारक के रुप में मान्यता कब दी गयी थी?
भारत में ‘एलोरा की गुफाओं’ को विश्व धरोहर स्मारक के रुप में मान्यता कब दी गयी थी?
भारत में ‘ऐरावतेश्वर मन्दिर’ को विश्व धरोहर स्मारक के रुप में मान्यता कब दी गयी थी?
भारत में ‘कंचनजंगा नेशनल पार्क’ को विश्व धरोहर के रुप में मान्यता कब दी गयी थी?
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