पीरों को अलौकिक शक्ति का प्रतीक होने के कारण उनकी खानकाहों में बड़ी संख्याओं में मुरीद उपस्थित होते थे।
सूफी परम्परा में बहुत गहरा सम्बन्ध ‘पीर का मुरीद’ से होता था।
सूफी संतों से शिक्षा ग्रहण करने वाले व्यक्ति को ‘मुरीद’ कहा जाता था।