अरब सभ्यता में पैगम्बर के निर्देशानुसार प्रत्येक मुसलमान का कर्तव्य ज्ञान की खोज करना होना चाहिए।
इस्लाम धर्म के अंतिम पैगम्बर हजरत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) थे।
खुसरो शाह ने पैगम्बर का सेनापति उपाधि को धारण किया था।
पारसी धर्म के पैगम्बर जरथुस्ट्र (ईरानी) थे।
पैगम्बर हजरत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के उत्तराधिकारी खलीफा कहलाते थे।
पैगम्बर हजरत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के कथनों तथा कार्यों का विवरण ग्रंथ हदीस संग्रह है।
पैगम्बर हजरत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के जन्म-दिन को ‘ईद-ए-मिलाद-उन-नबी’ पर्व के रूप में मनाया जाता है।
पैगम्बर हजरत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के मक्का से मदीना की यात्रा इस्लाम जगत में हिजरी संवत् (मुस्लिम संवत्) के नाम से जानी जाती है।
पैगम्बर हजरत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने कुरान की शिक्षाओं का उपदेश दिया था।
पैगम्बर हजरत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने मक्का से मदीना की यात्रा 24 सितम्बर 622 ईसवी में की थी।
सर्वप्रथम पैगम्बर हजरत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) का जीवन-चरित्र इब्न ईशाक ने लिखा था।