आनन्द शहर का प्रसिद्ध उद्योग मक्खन, पनीर एवं दूध उद्योग है।
कीलोसिस रोग से बचने के लिए पनीर, अण्डे, यीस्ट, हरी पत्तियाँ, माँस एवं जिगर आदि का सेवन करना चाहिए।
पनीर बनाने के लिए किन कवकों का प्रयोग किया जाता है?
पनीर बनाने के लिए पेनिसिलियम केममबर्टी एवं पेनिसिलियम रॉकफॉर्टी कवकों का प्रयोग किया जाता है।
पनीर बनाने के लिए लेक्टोबैसिलस लैक्टिस एवं ल्यूकोनॉस्टॉक सिट्रोवोरम जीवाणुओं का प्रयोग किया जाता है।
पर्नीसियस एनीमिया रोग से बचने के लिए यकृत के तेल, पनीर, दूध, माँस, मछली एवं अण्डे आदि का सेवन करना चाहिए।
पेनिसिलियम केममबर्टी का प्रयोग पनीर बनाने में किया जाता है।
प्रतिदिन आवश्यक कैल्सियम के स्त्रोत दूध, पनीर, हरी सब्जियाँ, फलियाँ एवं अनाज आदि है।
प्रतिदिन आवश्यक कोबाल्ट का स्त्रोत दूध, पनीर एवं माँस आदि है।
प्रतिदिन आवश्यक गन्धक के स्त्रोत अण्डा, माँस, पनीर, मछली एवं सेम आदि है।
राइबोफ्लेविन के स्त्रोत पनीर, अण्डे, यीस्ट, हरी सब्जियाँ, माँस एवं जिगर आदि है।
राइबोफ्लैविन की पूर्ती के लिए पनीर, अण्डे, यीस्ट, हरी पत्तियाँ, माँस एवं जिगर आदि का सेवन करना चाहिए।
लेक्टोबैसिलस लैक्टिस का उपयोग पनीर के निर्माण में किया जाता है।
वसा के मुख्य स्त्रोत घी, मक्खन, बादाम, पनीर, अण्डा, माँस, सोयाबीन एवं सभी वनस्पति तेल आदि है।
विटामिन-B12 के स्त्रोत यकृत का तेल, पनीर, दूध, माँस, मछली एवं अण्डा आदि है।
विटामिन-B2 के स्त्रोत पनीर, अण्डे, यीस्ट, हरी सब्जियाँ, माँस एवं जिगर आदि है।
सायनोकोबालएमीन के स्त्रोत यकृत का तेल, पनीर, दूध, माँस, मछली एवं अण्डा आदि है।