मौर्य काल में न्यायालय (दीवानी एवं फौजदारी) दो प्रकार की होती थी।
रेग्यूलेटिंग एक्ट के द्वारा सुप्रीम कोर्ट को दीवानी, फौजदारी, नौसेना तथा धार्मिक मामलों की सुनवाई एवं फैसले का अधिकार प्राप्त हो गया था।