एक पिण्ड को 62°C से 61°C तक ठण्डा होने में T मिनट लगते हैं …
एक पिण्ड को 62°C से 61°C तक ठण्डा होने में T मिनट लगते हैं, जब परिपार्श्व का तापमान 30°C है। इसी परिपार्श्व के तापमान में 46°C से 45.5°C तक ठण्डा होने में पिण्ड को लगने वाला समय क्या होगा?
एक पिण्ड सरल आवर्त गति कर रहा है जिसका आवर्तकाल 2 सेकण्ड है। मध्यमान स्थिति से आयाम की आधी दूरी तय करने में लगा समय 1/6 सेकण्ड होगा।
एक पिण्ड सरल आवर्त गति कर रहा है जिसका आवर्तकाल 2 सेकण्ड है। मध्यमान स्थिति से आयाम की आधी दूरी तय करने में लगा समय कितना होगा?
एक पिण्ड सरल आवर्त गति कर रहा है। जब माध्य स्थिति से इसका विस्थापन 4 सेमी व 5 सेमी है एवं इसके वेग क्रमशः 10 सेमी/से व 8 सेमी/से हैं तो पिण्ड का आवर्तकाल π सेकण्ड होगा।
एक पिण्ड सरल आवर्त गति कर रहा है। जब माध्य स्थिति से इसका विस्थापन 4 सेमी व 5 सेमी है एवं इसके वेग क्रमशः 10 सेमी/से व 8 सेमी/से हैं तो पिण्ड का आवर्तकाल कितना होगा?
किस खगोलीय पिण्ड को ‘रात की रानी’ के नाम से जाना जाता है?
किसी पिण्ड की सतह का क्षेत्रफल 5 सेमी है तथा ताप 727°C है। यदि प्रति मिनट 300 जूल ऊर्जा विकिरित करता है तो इसकी उत्सर्जन क्षमता 0.176 होगी।
किसी पिण्ड की सतह का क्षेत्रफल 5 सेमी है तथा ताप 727°C है। यदि प्रति मिनट 300 जूल ऊर्जा विकिरित करता है तो इसकी उत्सर्जन क्षमता क्या होगी?
खगोलीय पिण्ड चन्द्रमा को ‘रात की रानी’ के नाम से भी जाना जाता है।
ग्रहों के चारों ओर परिक्रमा करने वाले छोटे आकाशीय पिण्ड को उपग्रह कहते हैं।
जब उल्का जलकर नष्ट न होकर एक पिण्ड के रुप में पृथ्वी पर आ गिरता है, तब उसे उल्कापिंड या उल्काश्म कहते हैं।
पृथ्वी के सबसे निकटतम खगोलीय पिण्ड कौन सा है?
पृथ्वी के सबसे निकटतम खगोलीय पिण्ड चन्द्रमा है।
बृहस्पति तथा मंगल ग्रह की कक्षा के बीच चक्कर लगाने वाले अत्यंत छोटे पिण्डों को क्षुद्र ग्रह कहते हैं।
मंगल एवं बृहस्पति ग्रहों के मध्य सू्र्य की परिक्रमा करने वाले खगोलीय पिण्ड को क्या कहते हैं?
सूर्य के चारों ओर घूमने वाले खगोलीय पिण्ड को ग्रह कहते है।
सूर्य के चारों ओर घूमने वाले खगोलीय पिण्ड क्या कहलाते हैं?
सौरमंडल के सभी पिण्ड किसके कारण आपस में बंधे रहते है?
सौरमंडल के सभी पिण्ड गुरुत्वाकर्षण के कारण आपस में बंधे रहते है।
सौरमण्डल के छोर पर बहुत ही छोटे-छोटे अरबों पिण्ड विद्यमान है, उन्हें क्या कहते हैं?
सौरमण्डल के छोर पर बहुत ही छोटे-छोटे अरबों पिण्ड विद्यमान है, जिसे धूमकेतु या पुच्छ तारा कहते हैं।