धर्म सुधार आंदोलन के परिणाम स्वरूप धर्म संबंधी सभी साहित्य लैटिन से राष्ट्रीय भाषाओं में अनुवादित एवं प्रकाशित होने लगे थे।
यूरोप में राष्ट्रीय राज्यों की स्थापना के साथ राष्ट्रीय भाषाओं का विकास हुआ था।