‘दासबोध’ एवं ‘आनन्दवन भवन’ नामक पुस्तक समर्थ रामदास ने लिखी थी।
मराठा धर्म का प्रतिपाठन समर्थ रामदास ने किया था।
शिवाजी के गुरु समर्थ रामदास थे।