संगम साहित्य

चेर साम्राज्य के बारे में जानकारी संगम साहित्य से मिलती है।

संगम साहित्य का तृतीय संगम 1850 वर्षाें तक चला था।

संगम साहित्य का तृतीय संगम कितने वर्षों तक चला था?

संगम साहित्य का द्वितीय संगम 3700 वर्षों तक चला था।

संगम साहित्य का द्वितीय संगम कितने वर्षों तक चला था?

संगम साहित्य का प्रथम संगम कहां हुआ था?

संगम साहित्य का प्रथम संगम कितने वर्षों तक चला था?

संगम साहित्य का प्रथम संगम मदुरई में हुआ था।

संगम साहित्य के कितने संगम हुए हैं?

संगम साहित्य के तीन संगम हुए हैं।

संगम साहित्य के तृतीय संगम का स्थान उत्तरी मदुरई में था।

संगम साहित्य के तृतीय संगम का स्थान कहां था?

संगम साहित्य के तृतीय संगम की अध्यक्षता किसने की थी?

संगम साहित्य के तृतीय संगम की अध्यक्षता नक्कीरर ने की थी।

संगम साहित्य के तृतीय संगम में 49 पाण्ड्य राजाओं का संरक्षण था।

संगम साहित्य के तृतीय संगम में कितने राजाओं का संरक्षण था?

संगम साहित्य के तृतीय संगम में कितने सम्प्रदाय के लोगों ने भाग लिया था?

संगम साहित्य के तृतीय संगम में जैन, बौद्ध एवं हिन्दू तीनों सम्प्रदाय के लोगों ने भाग लिया था।

संगम साहित्य के तृतीय संगम में प्रमुख उपस्थित व्यक्ति कौन-कौन थे?

संगम साहित्य के तृतीय संगम में प्रमुख उपस्थित व्यक्ति नक्कीरर (अध्यक्ष), पाण्ड्य राजा उद्र, सित्तलै सित्तनार कपिलर, परनर आदि थे।

संगम साहित्य के तृतीय संगम में भाग लेने वाले 49 संस्थान थे।

संगम साहित्य के तृतीय संगम में भाग लेने वाले कवि 449 कवि थे।

संगम साहित्य के तृतीय संगम में भाग लेने वाले कवि कितने थे?

संगम साहित्य के तृतीय संगम में भाग लेने वाले कितने संस्थान थे?

संगम साहित्य के तृतीय संगम में मानक ग्रंथ कौन-कौन थे?

संगम साहित्य के तृतीय संगम में मानक ग्रंथ पदित्तुप्पत्रु, परिपादल, वरि, वेरिसै आदि थे।

संगम साहित्य के द्वितीय संगम का स्थान कपाटपुरम (वर्तमान अलवै-समुद्र में विलीन) था।

संगम साहित्य के द्वितीय संगम का स्थान कहां था?

संगम साहित्य के द्वितीय संगम के कार्यकारी अध्यक्ष अगत्तियार एवं तोलकाप्पियर थे।

संगम साहित्य के द्वितीय संगम के कार्यकारी अध्यक्ष कौन-कौन थे?

संगम साहित्य के द्वितीय संगम में 59 पाण्ड्य राजाओं का संरक्षण था।

संगम साहित्य के द्वितीय संगम में उपलब्ध ग्रंथ का नाम क्या था?

संगम साहित्य के द्वितीय संगम में उपलब्ध ग्रंथ का नाम तोलकाप्पियम था।

संगम साहित्य के द्वितीय संगम में कितने पाण्ड्य राजाओं का संरक्षण था?

संगम साहित्य के द्वितीय संगम में भाग लेने वाले 3700 कवि थे।

संगम साहित्य के द्वितीय संगम में भाग लेने वाले 49 संस्थान के सदस्य थे।

संगम साहित्य के द्वितीय संगम में भाग लेने वाले कितने कवि थे?

संगम साहित्य के द्वितीय संगम में भाग लेने वाले कितने संस्थान के सदस्य थे?

संगम साहित्य के द्वितीय संगम में मानक ग्रंथ अक्कतियम् (अगस्त्यकृत), तोलकाप्पियम, मापुरानाम, इसै-नुनुक्कम्, भूतपुरानम्, केलि, कुरूकु, वेन्दालि एवं व्यालमलय आदि थे।

संगम साहित्य के द्वितीय संगम में मानक ग्रंथ कौन-कौन थे?

संगम साहित्य के प्रथम संगम की अध्यक्षता ऋषि अगस्त्य (अगत्तियार) ने की थी।

संगम साहित्य के प्रथम संगम की अध्यक्षता किसने की थी?

संगम साहित्य के प्रथम संगम के आचार्य अगस्त्य उत्तर भारत से आर्य-संस्कृति लेकर दक्षिण भारत आये थे।

संगम साहित्य के प्रथम संगम के आचार्य अगस्त्य उत्तर भारत से क्या लेकर दक्षिण भारत आये थे?

संगम साहित्य के प्रथम संगम में 89 पाण्ड्य राजाओं का संरक्षण था।

संगम साहित्य के प्रथम संगम में अक्कतियम् (अगस्त्यकृत), परिपदल, मुदुनरै, मुदकुग, कलरियाविरूई मानक ग्रंथ थे।

संगम साहित्य के प्रथम संगम में उपस्थित प्रमुख देवता अगस्त्य, तिरिपुरामेरीथा (शिव), कुमरामेरिंडा (मुरूगन या सुब्रह्मण्यम), एवं मुरांजीयुर (आदि शेष) थे।

संगम साहित्य के प्रथम संगम में उपस्थित प्रमुख देवता कौन-कौन थे?

संगम साहित्य के प्रथम संगम में कितने राजाओं का संरक्षण था?

संगम साहित्य के प्रथम संगम में कौन-कौन से मानक ग्रंथ थे?

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