पार्श्वनाथ ने 30 वर्ष की अवस्था में संन्यास-जीवन को स्वीकारा था।
महावीर स्वामी ने माता-पिता की मृत्यु के पश्चात् संन्यास-जीवन अपने बड़े भाई नंदिवर्धन से अनुमति लेकर स्वीकारा था।