जैन सिद्धों की पांच श्रेणियां तीर्थंकर, अर्हत, आचार्य, उपाध्याय एवं साधु हैं।
जैन सिद्धों की पांच श्रेणियां हैं।
संविधान के प्रवर्तन के समय राज्यों को चार श्रेणियों ‘अ’, ‘ब’, ‘स’ तथा ‘द’ में बांटा गया था, इन श्रेणियों को 1956 ई० में समाप्त किया गया था।