अकबर की ‘मुहर’ नामक स्वर्ण मुद्रा चाँदी के नौ रुपयों के बराबर थी।
अकबर ने अपने कार्यकाल के प्रारम्भ में ‘मुहर’ नामक स्वर्ण मुद्रा को प्रचलित किया था।