बाल गंगाधर तिलक ने सर्वप्रथम स्वराज, स्वदेशी एवं बहिष्कार का नारा दिया था।
भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के द्वितीय चरण में स्वदेशी एवं क्रांतिकारी आतंकवाद आन्दोलनों का सूत्रपात हुआ था।