कांग्रेस की स्थापना (1885 ईस्वी) के बाद उदारवादी गुट का प्रभाव बढ़ा था।
दादा भाई नौरोजी, सुरेन्द्र नाथ बनर्जी, फिरोज शाह मेहता, गोविन्द रनाडे, दीन शा वाचा, गोपाल कृष्ण गोखले, मदन मोहन मालवीय आदि, उदारवादी गुट के प्रमुख नेता थे।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सूरत अधिवेशन में कांग्रेस उदारवादी गुट एवं उग्रवादी गुट में विभक्त हो गई थी।