ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम के अनुसार आन्तरिक ऊर्जा में कमी ऋणात्मक प्रकृति की होती है।
ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम के अनुसार आन्तरिक ऊर्जा में कमी किस प्रकृति की होती है?
ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम के अनुसार आन्तरिक ऊर्जा में वृद्धि किस प्रकृति की होती है?
ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम के अनुसार आन्तरिक ऊर्जा में वृद्धि धनात्मक प्रकृति की होती है।
ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम के अनुसार निकाय द्वारा प्राप्त ऊष्मा धनात्मक प्रकृति की होती है।
ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम के अनुसार निकाय द्वारा लुप्त ऊष्मा ऋणात्मक प्रकृति की होती है।
ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम के अनुसार निकाय द्वारा लुप्त ऊष्मा किस प्रकृति की होती है?
ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम के अनुसार प्रसार के दौरान निकाय द्वारा किया गया कार्य किस प्रकृति का होता है?
ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम के अनुसार प्रसार के दौरान निकाय द्वारा किया गया कार्य धनात्मक प्रकृति का होता है।
ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम के अनुसार संपीडन के दौरान निकाय द्वारा किया गया कार्य ऋणात्मक प्रकृति का होता है।
ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम के अनुसार संपीडन के दौरान निकाय द्वारा किया गया कार्य किस प्रकृति का होता है?
ऊष्मागतिकी क्या है?
ऊष्मागतिकी विज्ञान की एक शाखा है जिसके अन्तर्गत ताप, कार्य, तापमान और ऊर्जा एवं विकिरण के भौतिक गुणों का अध्ययन किया जाता है।
किसी ऊष्मागतिकी निकाय को एक अवस्था A से दूसरी अवस्था B पर लाने पर यदि निकाय को दी गई ऊष्मा Q हो तथा निकाय द्वारा किया गया कार्य W हो, तो आन्तरिक ऊर्जा में परिवर्तन Q – W होगा।
किसी ऊष्मागतिकी निकाय को एक अवस्था A से दूसरी अवस्था B पर लाने पर यदि निकाय को दी गई ऊष्मा Q हो तथा निकाय द्वारा किया गया कार्य W हो, तो आन्तरिक ऊर्जा में परिवर्तन क्या होगा?
विज्ञान की वह शाखा जिसमें ऊर्जा के अन्य रूपों में ऊष्मीय ऊर्जा के स्थानान्तरण का अध्ययन किया जाता है, उस शाखा को ऊष्मागतिकी (Thermodynamics) कहते है।