ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम के अनुसार आन्तरिक ऊर्जा में कमी ऋणात्मक प्रकृति की होती है।
ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम के अनुसार आन्तरिक ऊर्जा में कमी किस प्रकृति की होती है?
ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम के अनुसार आन्तरिक ऊर्जा में वृद्धि धनात्मक प्रकृति की होती है।
ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम के अनुसार निकाय द्वारा प्राप्त ऊष्मा किस प्रकृति की होती है?
ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम के अनुसार प्रसार के दौरान निकाय द्वारा किया गया कार्य किस प्रकृति का होता है?
ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम के अनुसार प्रसार के दौरान निकाय द्वारा किया गया कार्य धनात्मक प्रकृति का होता है।
ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम के अनुसार संपीडन के दौरान निकाय द्वारा किया गया कार्य ऋणात्मक प्रकृति का होता है।
ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम के अनुसार संपीडन के दौरान निकाय द्वारा किया गया कार्य किस प्रकृति का होता है?
ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम के अनुसार, “किसी निकाय को दी गई ऊष्मा (dQ), उस निकाय द्वारा किये गये बाह्य कार्य (dW) तथा उसकी आन्तरिक ऊर्जा में वृद्धि (dU) के योग के बराबर होती है।”