आरंभिक वैदिक काल में वर्ण व्यवस्था व्यवसाय पर आधारित थी।
उत्तरवैदिक काल में वर्ण, व्यवसाय की बजाय जन्म के आधार पर निर्धारित होते थे।
ऋग्वैदिक काल में समाज व्यवसाय के आधार पर विभक्त था।