Question

उपर्जित लक्षणों की वंशागति का सिद्धान्त क्या है?

Answer

उपर्जित लक्षणों की वंशागति का सिद्धान्त - (1) “फिलोसफी जूलोजीक” (Philosphie Zoologique) नामक पुस्तक में लैमार्क (Lamarck) ने उपार्जित लक्षणों की वंशागति का सिद्धान्त प्रस्तुत किया। (2) उपर्जित लक्षणों की वंशागति का सिद्धान्त के अनुसार प्रत्येक जीव अपने जीवन काल में जिस वातावरण में रहता है, उसके प्रभाव से अनेक गुण अर्जित या उपार्जित करता है। यही उपार्जित लक्षण जिसे हम गुण भी कहते हैं, उसकी आने वाली सन्तानों में पहुँच जाते हैं तथा धीरे-धीरे नई जाति (new species) बन जाति है। (3) उपर्जित लक्षणों की वंशागति का सिद्धान्त के अनुसार जिस अंग का उपयोग लगातार होता है, वह धीरे-धीरे आकार में बढ़ जाता है तथा जिस अंग का प्रयोग नहीं होता, उसका क्रमशः ह्रास या छोटा होता जाता है और आखिर में वह समाप्त हो जाता है। (4) साँपों में अंगों के कम उपयोग को उदाहरण के रूप में लैमार्क ने दिया।